मन बिहंस रहा है
मन बिहंस रहा है
एक तो अन्धेरी रात है
आवाज की कड़कती हुयी बिजलियां हैं
नरभक्षियों की चमकती हुई आंखें हैं
आंखों की रौशनी में ही
दिखते हुये सौम्य चेहरे हैं।
वो दिन गये जब शैतान के
चेहरे डरावने दिखते थे।
आज की बात और है
खूबसूरत चेहरे
हर चौराहे पर
हाथों में हथियार और
जुबान पर नफरत लिये खडा़ है
कहता है ये प्रेम का आलम है
और हम तुम्हारे लिये
हर कुर्बानी देने को तत्पर हैं।
हम भी खूब हैं
इस डरावने मौसम का
लुत्फ ले रहें हैं
मन विहंस रहा है
और यह कहते हुये गुजर रहा है
तुम कितने अच्छे थे।
