हुई वो तैयार
हुई वो तैयार
आज फिर सरेशाम सज गया बाजार
कुछ मनचलों को रिझाने हुई वो तैयार,
ना जाने कितना दर्द छुपाकर वो जीती है
क्या समझ पाएंगे उसके जिस्म के खरीदार?
आज फिर सरेशाम सज गया बाजार
कुछ मनचलों को रिझाने हुई वो तैयार,
ना जाने कितना दर्द छुपाकर वो जीती है
क्या समझ पाएंगे उसके जिस्म के खरीदार?