एक ....था
एक ....था
एक था... निरमिष ।
पिया जीवन का अनंत विष।
एक था... निरमिष।।
बचपन से ही, जीवन का बोझा ढोया।
पिता के लिए जीवन भर रोया।।
हार न मानी, परिस्थितियों से।
जीवन को एक प्रेरणा कर सोया।।
एक था ...निरमिष।
जिसने पीया जीवन का अनंत विष।।
खुद पर हँसता।
जीवन को रचता।
आड़ी -तिरछी रेखाओं से,
जीवन के सत्य में जचता।।
एक है...... निरमिष।
जो खुद को था..... करके है हंसता।
जीवन के सत्य को,
मानने से नही बचता।।