दिल का रिश्ता
दिल का रिश्ता
मत करना कभी तुम भूलकर प्यार का सौदा,
हम न सही तो कोई और देगा तुम्हें धोखा।
उल्फतें अक्सर दगा खाती हैं,
और फितरतें कभी न गम खाती हैं।
प्यार के नाम कभी कुर्बानियाँ बेगार नहीं होती हैं,
जो जीते हैं उनसे रुसवाइयां हिसाब नहीं लेती हैं।
बहुत करीबी होता जब दिल का रिश्ता,
तब टूट कर अरमान बिखर जाते आहिस्ता।
नहीं होगी तलाश किसी और मुसाफिर की,
खुद की शागिर्द लुटी बात नहीं गाफिल की।