भारतवर्ष का भविष्य तुम्हारे हाथ में हैं
भारतवर्ष का भविष्य तुम्हारे हाथ में हैं
गली- गली में शोर यह घनघोर है
वो तो झूठा ,चोर है, मक्कार है
कही अंधभक्तो की भरमार है
भक्ति में लीन किडनी तक नौछावर है
भोले भाले अनपढ़ गवार समाज सकते
मगर पढ़ेलिखे बेरोजगार भी उसपार हैं
उन्हें फुरसत नहीं खुद के बड़े में सोचने के लिए
ना ही चिहिए साफ सुथरा भविष्य
नहीं समझते भविष्य में अंधकार है
रोटी कपडा न मकान, न कुछ बनने की खवाइश
बस थमा बैठे हैं उनके झंडे और डंडे चाँद शिक्को के बदले
क्या होगा हमारे देश का समाज का आनेवाले नस्लों का ?
अरे भाई तुम पालतू जानवर नहीं हो
वो कहे तो भौंके , वो कहे तो काटे
अभी भी वक्त है सुधर जावो दीवानो
भारतवर्ष का भविष्य तुम्हारे हाथ में हैं!