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Abasaheb Mhaske

Action

2  

Abasaheb Mhaske

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अरे भाई बस भी करो

अरे भाई बस भी करो

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अरे भाई बस भी करो 

झूठ पर झूठ, डींगे हाँकना 

बेशर्मी की भी हद होती है 

अगर जमीर जिन्दा हो तो 


क्या सोचा था क्या निकला 

अब हद से बढ़ रहे हो 

सच को कब तक छुपाओगे

नरक में भी न जगह पाओगे


देखते- देखते क्या से क्या हो गया 

सब कुछ ख़त्म जैसे भूचाल आ गया 

सभी मौन, चुपचाप तमाशा देखे 

क्या अब तानाशाही उभर रही है ?


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