सबको गुलामी मुबारक हो यारो
सबको गुलामी मुबारक हो यारो
क्या लेना देना हमें देश दुनिया का ?
हम हैं मालिक अपने मर्जी के
दुःख दर्द सिलानेवाला दर्जी कहाँ ?
ढूंढ़ते रहो सुख चैन की साँस जिंदगीभर
गुलाम होना बेहद जरुरी हैं
पहले अंग्रेजो के, पूँजीपतिवो के
अब चंद शिक्को के ,,कुर्सी के
मालिक और नोकरशहा के
आदत डाली सभी ने ,ऐसेही जीना हैं
हम दो हमारे दो बाकी सारे गौण
हर चौराहे पर सत्य नीलाम हो रहा हैं
हम बस गुमसुम,चुपचाप तमाशा देखे ?
तुम भी कूल हम भी कूल
हमारी भूल, खूबसूरत चँगुल
मतलबी झूल सबके गले में
सबको गुलामी मुबारक हो यारो।