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Abasaheb Mhaske

Tragedy

3  

Abasaheb Mhaske

Tragedy

कोई नहीं किसी का

कोई नहीं किसी का

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हर कोई अपने जुगाड़ में

राजा हो या रंक

खो गई इंसानियत

जीने की भगदड़ में


कहने को तो सब कहते हैं

यह क्या हो रहा हैं

जो कुछ भी हो रहा हैं

सही नहीं हो रहा हैं


जो कुछ भी हो रहा है

उसके हम सब जिम्मेदार हैं

हम क्या बोये उन्हीं पर मदार हैं

जो बोयेंगे वही तो पायेंगे


जाने कहाँ गए वो लोग

मिल जुलकर रहते थे

सुख दुःख आपस में बांटते थे

हँसते -खिलते महकते थे


माहौल इतना बिगाड़ा किसने

क्यों डर लगने लगा हैं सच्चाई से ?

और भागने लगे सब अच्छाई से

कल के साथी आज दुश्मन बन बैठे हैं


बापू के वो तीन बन्दर कहा गए ?

चारों तरफ अँधेरा ही अँधेरा छा गया

मतलबी बनी हैं दुनिया सारी

क्यों लग रह हैं कोई नहीं किसी का ?



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