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Ruchi Rachit Singla

Tragedy

4.5  

Ruchi Rachit Singla

Tragedy

क्यों खुद को भूल गई मैं

क्यों खुद को भूल गई मैं

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सबको मानते - मानते ,

कब खुद से रूठ गयी मैं,

क्यों अपनी बात रखना भूल गयी मैं। 


सबकी सुनते-सुनते,

कब खुद से दूर हो गयी मैं,

क्यों बोलना भूल गयी मैं। 


सब कुछ समेटे -समेटे,

क्यों खुद बिखर गयी मैं,

कब इतना मजबूर हो गयी मैं,


सब की खुशियों का ध्यान रखते- रखते,

खुद की खुशियों से हो गयी अनजान,

क्यों हँसाना भूल गयी मैं। 


सेहमी -सेहमी क्यों,

 खुद मैं सिमट गयी मैं,

क्यों लोगो से गुलना- मिलना भूल गयी मैं। 


यह सोच रखते -रखते,

एक दिन आएगा,

जब सब मुझे समझेंगे,

क्यों कुछ न बदला,

सिवाय मेरी सोच के। 


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