Umeed
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बिकती है न ख़ुशी कही,
न ही कही गम बिकता है,
गलतफहमी है ये की यहाँ,
मरहम बिकता है!!
जो रखी उम्मीद किसी इंसान से,
नहीं रहोगे किसी काम के,
रखनी है तो रखो,
उम्मीद अपने आप से,
तभी जी पाओगे आराम से!!
है जख्म खुद का,
तो खुद ही उसे भरना है पड़ता,
जो उम्मीद की दूसरों से मरहम,
तो सिर्फ और दर्द है मिलता!!