अरज
अरज
हे गणपति जी महाराज,
हाथ जोड़ कर है अरज,
ऐसा रूहानी हो नाता मेरा -आपका,
कलम मेरी हो,
हर शब्द हो आपका,
आवाज़ मेरी हो,
हर बोल हो आपका,
रहना साथ सदा,
बनके मेरा साया !!!!
आपका जन्म बताता,
नामुमकिन कुछ भी नहीं,
अगर मन हो सच्चा,
और विश्वास हो पक्का,
तो हर मुराद,
पूरी करते भगवान!!
झुकता हर किसी का सर,
तुम्हारे आगे,
क्योंकि विद्या और विश्वास में,
हो तुम सबसे आगे,
आपने सिखाया जानो इंसान को गुणों से,
न की रंग रूप से
इसीलिए आप गणपति कहलाये,
हे शिव पार्वती के लाल,
कर दो मेरी भी नय्या पार,
लहरें रूपी मुश्किलें है काफी ऊँची,
दूर है किनारा,
अगर मिल जाये आपका सहारा,
तो जरूर मिल जायेगा किनारा,
चाहे तूफ़ान हो कितना भी गहरा!!
हे गणपति जी महाराज,
अब न करना देरी,
अरज है यह दिल से मेरी,
अब तुम्हारे ही,
भरोसे है नय्या मेरी!!