बगीचा
बगीचा
मेरे घर में हैं एक बगीचा,
प्यार और मेहनत से जिसे सींचा ,
हरी घास का बिछा है गलीचा,
मेरा मन हमेशा अपनी और खींचा,
इतना प्यारा है हमारा बगीचा!!
फूलों से महकता,
पक्षियों से चहकता,
हर कोना मानो कुछ कहता,
शांति और सुकून भरता!!
जाने अनजाने यह सीखा जाता,
जैसे बगीचा तो हमेशा रोशन रहता,
चाहे बसंत हो या पतझड़,
वैसे ही मुस्कुराते हुए आगे बड़
कभी न रुक
चाहे हो दुःख या सुख !!
