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Dhanjibhai gadhiya "murali"

Romance Thriller

4  

Dhanjibhai gadhiya "murali"

Romance Thriller

कभी छोड़ना नहीं

कभी छोड़ना नहीं

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रंगीली बसंत भले ही चली जाये सनम,

मेरे प्यार की महकें कभी भी भूलना नहीं,

पतझड़ में भी प्यार से रखूंगा तुझ को सनम,

दिल में पतझड़ का डर कभी भी रखना नहीं।


ग्रीष्म का आगमन भले ही हो जाये सनम,

ग्रीष्म की धूप से घायल कभी भी बनना नहीं,

सावन की घटा में तुझ को रखूंगा मैं सनम,

मेरे प्यार की छाँव कभी भी छोड़ना नहीं।


सरोवर-नदिया भले ही सुख जाये सनम,

मेरे प्यार का सागर कभी भी छोड़ना नहीं,

प्यार के तरंगों से तुझे तरबतर करूंगा मैं सनम,

मेरे दिल से बाहर कभी भी निकलना नहीं।


बादलों की गर्जना भले ही शुरु हो जाये सनम,

विहर की बिजली से कभी भी जलना नहीं,

प्यार का मल्हार तुझ पर बरसाऊंगा मैं सनम,

"मुरली" की बांहों में रहना कभी भी भूलना नहीं।



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