तपन भरी है ये धरा, जीव सभी हैं त्रस्त। मिलता तब आराम है, सूरज होते अस्त... तपन भरी है ये धरा, जीव सभी हैं त्रस्त। मिलता तब आराम है, सूरज होते अस्त...
करकेला मनवा मसकी जाला देहियां रोवलो न जाला की मसान भइल अंखिया करकेला मनवा मसकी जाला देहियां रोवलो न जाला की मसान भइल अंखिया
आसमान से धूप उतरकर बागों, झरनों तक छांव ढूंढती तपती जाती आसमान से धूप उतरकर बागों, झरनों तक छांव ढूंढती तपती जाती
सावन के झूलों जैसी अपनी बाहु में वो झुलाती है, माँ तो बस माँ कहलाए सावन के झूलों जैसी अपनी बाहु में वो झुलाती है, माँ तो बस माँ कहलाए
पहले जैसा हरा भी। दिन पर दिन होता और बड़ा भी। पहले जैसा हरा भी। दिन पर दिन होता और बड़ा भी।
पेंड़ कटत बा निशिदिन चिरईन के खोतवा बिरान भइल पेंड़ कटत बा निशिदिन चिरईन के खोतवा बिरान भइल