ए बदरी
ए बदरी
सुखि गइलें पोखरा आ जर गइलें टपरी, ए बदरी
कउना बात पे कोहाइ गइलू ए बदरी
देखा पेड़वा झुराई गइलें ए बदरी
बनरा के पेट पीठ एक भइलें घानी
कहा काहें होत बाटे राम मनमानी
गोरुअन के बेटवा क पेटवा ह खपरी , ए बदरी
कउना बात पे कोहाइ गइलू ए बदरी
देखा पेड़वा झुराई गइलें ए बदरी
संझवा बिहनवा में कमवा न सपरी
होते दुपहरिया भुजाई जालीं मछरी
नदिया में अगिया लगाई देलु जबरी , ए बदरी
कउना बात पे कोहाइ गइलू ए बदरी
देखा पेड़वा झुराई गइलें ए बदरी
करकेला मनवा मसकी जाला देहियां
रोवलो न जाला की मसान भइल अंखिया
लोरवा बहाईं ना सहाई आंख कजरी, ए बदरी
कउना बात पे कोहाइ गइलू ए बदरी
देखा पेड़वा झुराई गइलें ए बदरी
सियरा हथिनिया आ बघवा के बात बा
तोहके बोलावे ला ई बनवा छोहात बा
मेघवा बोलावें त अमांय जालु गगरी , ए बदरी
कउना बात पे कोहाइ गइलू ए बदरी
देखा पेड़वा झुराई गइलें ए बदरी
बोला काहें भकुआय गइलू ए बदरी
देखा पेड़वा झुराई गइलें ए बदरी।