काबिल
काबिल
किसी को नजर मिलाने की आदत नहीं है मेरी,
मैं खुद नजर के जाम छलकाने के लिये काबिल हूं।
किसी के लिये तड़पने की आदत नहीं है मेरी,
मैं खुद इश्क में सब को तड़पाने के लिये काबिल हूं।
किसी से दिल मिलाने की आदत नहीं है मेरी,
मैं खुद धड़कन का ताल सुनाने के लिये काबिल हूं।
किसी के इशारे समझने की आदत नहीं है मेरी,
मैं खुद नैनों की भाषा समझने के लिये काबिल हूं।
किसी का सहारा ढूंढने की आदत नहीं है मेरी,
"मुरली" खुद पूरी महफिल का बेताज बादशाह हूं।
