दुनिया का दस्तूर
दुनिया का दस्तूर
अजीब से ये लोग है, मतलब के लिये घर आते है,
मतलब पूरा होने के बाद, हम से सब दूर हो गये है।
जब हम मुसीबत में आते है, तब वो मुंह मोड़ लेते है,
हमें देखकर रास्ता बदलना, यही दुनिया का दस्तूर है।
दुखियों का सहारा बनकर, हम धन दौलत लुटाते है,
ईर्ष्या की आग में जलकर सब, हमारी बुराई करते है,
हमारे अच्छे कर्मों देखकर, वो हम से नफ़रत करते है,
हम को बदनाम करते रहना, यही दुनिया का दस्तूर है।
सुख में घर पर महफिल में, हमारी वाह वाह करते है,
हमारे बुरा वक्त देखकर सब, हमें अकेला बना देते है,
न तो हमें कोई बुलाता है, न तो कोई सहारा बनता है,
"मुरली" हंसकर हमें तड़पाना, यही दुनिया का दस्तूर है।
