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Rishabh Tomar

Tragedy

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Rishabh Tomar

Tragedy

गजल

गजल

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मोहब्बत का बीज उसके दिल में बोना है

उसका हो तो गया अभी उसमें खोना है


एक तरफा प्यार करने से पहले सोचते

अब क्या होता है अब तो सिर्फ रोना है


बज गये रात के दो अब वो आने से रही

ओढ़ लो चादर आज भी अकेले सोना है


इक़ तरफ़ा प्यार की सजा बस इतनी है

ख़ुद को आग के दरिया में डुबोना है


ऋषभ की तो बस इतनी सी ख्वाहिश है

अपने नाम का धागा गले उसके पिरोना है


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