ये दिसम्बर का महीना
ये दिसम्बर का महीना
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ये दिसम्बर का महीना
और वो नवम्बर की रातें
याद हरदम आती मुझको
तेरी हर वो कही बातें
न जानें कैसे तुझसे
जुड़ गये ये नाते
जो मुझको रात दिन रहते तड़पाते
न दिन का मुझे पता न गुजरे मेरी रातें
दें गये तुम न भूलनें वाली यादें
जीना न चाहा पर पड़ रहा जीना ऐसे
पपीहा व्याकुल हो स्वाती बूँद के लिए जैसे
जतन कोई बता दो तुम मिलोगे कैसे
या मेरे प्राण निकलेंगे तेरी विरह में वैसे