एक लड़की
एक लड़की
एक मां की कोख से
एक बेटी सवाल करती है।
एक लड़की होना ?
अभिशाप क्यों है ?
यह सवाल करती है।
क्यों पैदा होने से पहले,
कोख में हार जाती है।
या फिर बड़ी होकर,
दहेज पर वार दी जाती है।
क्यों ?
लड़की होने पर !
प्रश्नचिन्ह लग जाता है।
बोझ समझ कर ,
मन ही मन अहसास आता है।
पराया धन कह,
पराया कर दिया जाता है।
दान की वस्तु है, वो
कितने संस्कारों से दान,
कर दिया जाता है।
लकड़ी को
लक्ष्मी,
देवी कह कर
पूजा तो जाता है।
लेकिन हकीकत की,
तस्वीर पर,
उसी देवी को,
फिर क्यों ?
बलिदान कर
दिया जाता है।
फिर क्यों ?
बलिदान कर दिया जाता है।