हालात
हालात
झारखण्ड के जंगल-पर्वतों में
पेड़-लताएं नहीं है
नदी-नालों के
कंठ भी सूख गया है
हरा बिछावन हट गया है
रहने की जगह नहीं।
अब नहीं मिल
रही है
किदू- माठा आड़ाग
साहार बाहा, सारजोम बाहा
छात्तू, पुटका और कन्द- मूल।
हैं नहीं अब
रोल जो मेराल जो
मेरलेज, भुरलु, बिर डिढाढ़ी
कुद, बिर कुंदरी और सिन्जो जो
अब झारखण्ड के जंगल में
फूलों के सुगंध के बदले
बारूद की दुर्गन्ध फैली हुई है
कोयल के बोल से नहीं
लैंड माईन की विस्फोट से
पूरा भर गया है
पेड़ में लग रहा अब
ए के 47,एस एल आर आदि
फूल रहा है
केवल हिंसा, ईर्ष्या और गुस्सा
नदियों पर
बुरे लोगों का
नजर लगा है
पानी के बदले
मनुष्यों का ताजा खून
बह रहा है।