जान बूझ के पैर कुल्हाड़ी ना हम मरबै, फइली यह मा खाज फलाने या दरफी।। जान बूझ के पैर कुल्हाड़ी ना हम मरबै, फइली यह मा खाज फलाने या दरफी।।
भर लो जीवन में उजास आज मैं हरी हूँ क्या पता कल रहूँ या नहीं ? भर लो जीवन में उजास आज मैं हरी हूँ क्या पता कल रहूँ या नहीं ?
जल स्रोतों को मान दीजिए जल, जंगल, जमीन पर अतिक्रमण न कीजिए। जल स्रोतों को मान दीजिए जल, जंगल, जमीन पर अतिक्रमण न कीजिए।
वो पेड़ कुलहड़ियों का चोट खाकर जमीन पर पड़ा था। वो पेड़ कुलहड़ियों का चोट खाकर जमीन पर पड़ा था।
सबसे बड़ा दुःख यही लकड़ी ही लकड़ी को काटता सबसे बड़ा दुःख यही लकड़ी ही लकड़ी को काटता
यह तो बंद कमरों में रहते हैं जिन्हें हवा का एक झोंका भी मयस्सर नहीं यह तो बंद कमरों में रहते हैं जिन्हें हवा का एक झोंका भी मयस्सर नहीं