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Savita Gupta

Inspirational

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Savita Gupta

Inspirational

हरा पेड़

हरा पेड़

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आज हरी हूँ मैं 

शान से खड़ी हूँ मैं 

हरे तन के चुनर 

लहराते पवन झकोर


बाँहें फैलाए दे रही मैं 

छाया शीतल घनघोर 

रसीले लदे फल देती 

शुद्ध वायु फैलाती चहुँओर।


कजरी गाए गोरी 

झूला बाँधे बाँहों में 

पींग मारे अति दूर

हरी चूड़ियों की खन खन

झूमूँ मैं भी मगन सन सन।


कठोर 

कल आएगा

कुल्हाड़ी तन पर मारेगा

आज हरी हूँ मैं 

कल पीली हो जाऊँगी मैं...।


आकर मना लो मधु मास

कर लो हरी सावन की आस 

भर लो जीवन में उजास

आज मैं हरी हूँ

क्या पता कल रहूँ या नहीं ?


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