ग़ज़ल
ग़ज़ल
आबय हमरो राज फलाने या दरफी।
गिरै न पाबय गाज फलाने या दरफी।
सब अपनेन के ऊपर हबय देखै ताकै,
डूब न पाबय लाज फलाने या दरफी।।
केखे भीतर का गुजरी हय जनते हया,
खुली केमरिया आज फलाने या दरफी।।
सबलेन केर करतूतिन का लख लिहेन,
पहिना तुमहिन ताज फलाने या दरफी।।
जान बूझ के पैर कुल्हाड़ी ना हम मरबै,
फइली यह मा खाज फलाने या दरफी।।