Naveen kumar Bhatt
Horror
कितनी संवेदनाएं, कितनी वेदनाएं।
लोक भरी कथाएं, वीरों की गाथाएं।
जुड़ी हुई आस्थाएं, अविरल यात्राएं।।
सूरज की धाराएं, खिली हुई बालाएं।
चहुंओर दिशाएं, यहां आकर बताएं।
कैसी थी माताएं, करती थी चिंताएं।
पौराणिक कथाएं, हमको ये बताएं।।
गजल
मुक्तक
साहित्य उदय
ग़ज़ल
नेक दिल
साइंस फिक्शन
पौराणिक कथा
स्वतंत्रता
ख्वाब
आज उस बात को बीते हुए करीब दस साल गुज़र चुका है। आज उस बात को बीते हुए करीब दस साल गुज़र चुका है।
तक सुन पाओगे मिट जाएगा जब तेरी सृष्टि से तेरा ही विधि विधान।। तक सुन पाओगे मिट जाएगा जब तेरी सृष्टि से तेरा ही विधि विधान।।
भैया संग छुपकर, मूवी डरावनी देखी माँ-पापा सो रहे बेखबर निद्रा उन पर हावी थी भैया संग छुपकर, मूवी डरावनी देखी माँ-पापा सो रहे बेखबर निद्रा उन पर ह...
लबों से उफ्फ ना करती थी, आँखें तूने उसकी कभी पढ़ी न थी। लबों से उफ्फ ना करती थी, आँखें तूने उसकी कभी पढ़ी न थी।
मरहम को इंकार करता वो देश और ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की ओर चली दुनिया मरहम को इंकार करता वो देश और ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की ओर चली दुनिया
सामने दीवार बनकर हो जाये हम खड़े। सामने दीवार बनकर हो जाये हम खड़े।
कृपा निधान कृपा करो हम सब पर, प्रभु अब तो लगता है बहुत हमें डर। कृपा निधान कृपा करो हम सब पर, प्रभु अब तो लगता है बहुत हमें डर।
परवाह सँग दे वो हौसला उपहारी कोई अरदास है। परवाह सँग दे वो हौसला उपहारी कोई अरदास है।
पर भूल गई थी कि दिल तो मेरा हमेशा से ही बच्चा है जी , सह नहीं सकता किसी को जख्म पहुंचा। पर भूल गई थी कि दिल तो मेरा हमेशा से ही बच्चा है जी , सह नहीं सकता किसी को जख...
बंदिशों की जंजीरें तोड़कर फूंकने आ रहा हूँ में तेरी नफ़रत की लंका को। बंदिशों की जंजीरें तोड़कर फूंकने आ रहा हूँ में तेरी नफ़रत की लंका को।
नींद आती होगी कि नहीं॥ नींद आती होगी कि नहीं॥
वो सन्नाटा वो डरावनी बरसात की रात आज भी याद है मुझे, आज भी याद है मुझे II वो सन्नाटा वो डरावनी बरसात की रात आज भी याद है मुझे, आज भी याद है मुझे II
जल रहा था टूट जाने के बाद उसको इस बात की समझ आई। जल रहा था टूट जाने के बाद उसको इस बात की समझ आई।
विह्वल सब अश्रु बहाते थे, अपनों की चिता जलाते थे, विह्वल सब अश्रु बहाते थे, अपनों की चिता जलाते थे,
खून की प्यासी उसकी आत्मा किसी मासूम को अपना शिकार न बना ले। खून की प्यासी उसकी आत्मा किसी मासूम को अपना शिकार न बना ले।
त्रेता में श्रीराम तब आये थे, त्रेता में श्रीराम तब आये थे,
आती उसके समक्ष सफ़ेद रौशनी मेरी रूह से... आती उसके समक्ष सफ़ेद रौशनी मेरी रूह से...
यह नज़ारा देख रही औरत की नन्ही बच्ची सबक ले रही है और मन ही मन तय कर रही है कभी अम्मी जैसा ख़्वाब ... यह नज़ारा देख रही औरत की नन्ही बच्ची सबक ले रही है और मन ही मन तय कर रही है क...
वो उस बियावान को भयाक्रांत कर देती है अपने रुग्ण विलाप से वो उस बियावान को भयाक्रांत कर देती है अपने रुग्ण विलाप से
हवा की सरसराहट के बीच, कुछ आवाज़ बाहर से थी आई तन ठिठुरा, हाथ कांपते, फिर मैंने भी एक हवा की सरसराहट के बीच, कुछ आवाज़ बाहर से थी आई तन ठिठुरा, हाथ कांपते, फिर मैं...