बनारसी प्रेम
बनारसी प्रेम
मैं इश्क कहूँ
तुम बनारस समझना
मैं दोस्ती कहूँ
तुम प्यार का इजहार समझना..
मैं कॉफी कहूँ
तुम चाय पर अडे रहना..
मैं खामोश रहूँ
तुम मेरी आंखे पढना..
मैं लॉन्ग ड्राइव कहूँ
तुम पैदल ही सुनी सडको पर
खामोशि से साथ चलना..
मैं इश्क कहूँ
तुम बनारस समझना...
मैं आलिंगन चाहूँ
तुम भीड़ में मेरा हाथ थमना..
मैं मुस्कुराती रहूँ
तुम मुस्कुराहट के पीछे
छिपे दर्द को समझना..
मैं लड़ती रहूँ
तुम मेरी ताकत बने रहना..
मैं सजना सँवरना चाहूँ
तुम सादगी मे छिपी मेरी सुंदरता देखना..
मैं इश्क कहूँ
तुम बनारस समझना...
मैं साथ मे कुछ लम्हे चाहूँ
तुम जीवन के अंतिम क्षण तक मेरे साथ रहना..
मैं सुकुन चाहूँ
तुम मुस्कुराते रहना..
मैं मुलाकात चाहूँ
तुम ढलती हुई शाम में
घाट पर मेरा इंतजार करना..
मैं परेशान रहूँ
तुम घाट पर महाआरती में
मुझे ले जाना..
मैं खुश रहना चाहूँ
तुम बस मेरे साथ
बनारस के होकर रह जाना..
मैं इश्क कहूँ
तुम बनारस समझना...