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Dilip Kumar

Comedy Fantasy

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Dilip Kumar

Comedy Fantasy

नेनुआ की जीत

नेनुआ की जीत

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आज कटहल शरमा गया, 

नेनुआ से कैसे हार गया ?

कंपिटिसन का जमाना है

कब कौन किससे हार जाए,

किसको पता ?


नेनुआ को पका दिया,

बैंगन के चोखे जैसा बना दिया,

और कटहल के साथ कंजूसी कर दी।

जान-बूझकर हरा दिया।


नेनुआ को आरक्षित कोटे मे,

कटहल को सामान्य वर्ग का बना दिया।

याद दिलाया कटहल को,

युगों तक, तुम्हारे पुरखों ने,

अत्याचार किया था हम पर,


शादी-विवाह और उत्सवों

की शान थे –तुम।

और हम, लाचार, एक कोने में पड़े,

हमे कोई पूछता तक नहीं ।

बाकी सब्जियाँ कोरोनटाइन हैं,


डिप्रेसन में सड़ रही हैं। 

कोरोना से लड़ रही हैं।

पता नहीं कब क्या हो जाए ?

कुछ दिन पहले,


दिशा भी दिशाविहीन होकर

चौदहवीं’ मंजिल से कूद पड़ी,

आज सुशांत भी शांत हो गया !


मैं पीछे मुड़कर नहीं देखता  

क्योंकि यहाँ कभी किसी को 

हरा दिया जाता है। 


और पक्षपात से,

जीता भी दिया जाता रहा है। 

आजादी के बाद से। 


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