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Dilip Kumar

Romance

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Dilip Kumar

Romance

हो गया प्रेम

हो गया प्रेम

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यह प्रेम क्या है ? 

प्रतिदान है, समर्पण है ? 

महज आकर्षण है ? 

क्षणिक है या, जीवन का 

सस्वर गान है। 


यह प्रेम क्या है ?

राग भी है, 

वैराग्य भी है । 

यह प्रेम क्या है ?

वहम है, बे रहम है। 


अपनाता है कभी तो,

कभी रुलाता है। 

बदनाम करते प्रेम को 

कभी अशफाख तो, 

कहीं मिस्टर मटुकनाथ है। 


खुद रोता था

जिसके लिए कभी ,

रुलाता उसी को आज है।

मीरा के लिए 

आज के कृष्ण ने,

अपने परिवार का 

परित्याग कर दिया। 


आज के अर्जुन ने 

कर्ण को अपनी 

द्रोपदी का दान कर दिया। 

नहीं करते तो, भाग जाती। 

क्योंकि, उसे 

कर्ण से प्रेम हो गया है। 


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