फिर वो एहसास लौट आया
फिर वो एहसास लौट आया
आज सारे रास्ते फिर से घर की ओर मुड़ गए थे
हम फिर से अपनी ज़मीन से जुड़ गए थे
फिर से चाय की चुस्कियों पर गपशप शुरू हुई
कभी सूर्य और कभी चंद्र ग्रहण पर चर्चा हुई
किसी ने हाल ही में हुई शादी की चटपटी कहानियां सुनाई
और किसी ने फिर से शुरू करी अपनी लिखाई
फिर से एक परिवार होने का एहसास लौट आया था
किसी ने खाना बनाया तो कोई झटपट झाड़ू ले आया था
सालों बाद सब एक बार फिर पहले जैसे मिले थे
ना जाने कितने साल पहले ऐसे चेहरे खिले थे
आज जब कोई रोया तो मनाने वाला पास ही था
अपने ही घर के खिलाड़ियों के साथ खेलने का एहसास भी था
दादा ने आज अपनी जवानी के मज़ेदार किस्से सुनाए थे
और दादी ने खाने को लज़ीज़ बनाने के हुनर सिखाये थे
आज पिता ने बच्चों को देर शाम तक इंतजार नहीं करवाया था
और मां ने दोस्त बनकर हर एक पाठ उन्हें सिखाया था
आज घर के खाने की खुशबू मन को खूब भा रही थी
और अच्छा खाना खाने का सबक सबको सिखा रही थी
कैसे अनुभव थे यह
किसी ने कहा कि भयानक बीमारी फैली है,
भगवान के सामने दुहाई दो
पर उसके दरबार में मैंने बस विनम्रता से सिर झुका दिया
शायद सिर्फ मैं ही देख सकता था कि
वह प्रकृति के साथ बैठकर मंद मंद मुस्कुरा रहे थे।