STORYMIRROR

Goga K

Inspirational

4  

Goga K

Inspirational

जीवन रूपी मदिरा

जीवन रूपी मदिरा

1 min
472

कल उनको मैंने बाज़ार में देखा था 

इठलाती मुस्कुराती सी

अलग अलग रंग 

अलग अलग रूप 

कोई काली थी तो कोई सफेद 

सब अपने रूप पर इठला रही थी 

खुश हो रही थी 

सबके लिए होड़ लगी थी

मारामारी हो रही थी 

कोई देसी मांग रहा था 

तो कोई विदेशी 

सब उन्हें पाना चाहते थे 

वो सब ऐसा माहौल देख कर मुस्कुरा रही थी 

अपने यौवन पर इतरा रही थी 

किसी ने काली खरीदी

 तो कोई सफेद ले गया 

किसी ने सबसे महंगी खरीदी 

और किसी ने सबसे सस्ती ली 

ये वो मय की बोतलें थी 

जो उन्हें अपनाने वाले के साथ जाने को मचल रही थी 

पर ये क्या नज़ारा था अगले ही दिन 

जब मैंने देखा कि 

यहां वहां बिखरी हुई पड़ी थी वो सब 

कुछ टूटी 

कुछ फूटी 

कुछ यूं ही रेत में दबी हुई 

कोई जान नही थी अब उनमें 

बस यूं ही निर्जीव 

ये सब तुरंत समझ आ गया था कि 

सब जिसके लिए दीवाने हो रहे थे 

वो बोतल नही थी 

उनके अंदर भरी मय थी 

जो किसी को खुश कर गई 

कोई मदहोश हुआ 

तो कोई बस यूं ही खामोश रहा 

पर ये सबक सिखा गई थी 

ये खाली मय की बोतलें 

कि शरीर बस यूं ही पड़ा होगा निर्जीव 

समय इसमें भरी जीवन रूपी मदिरा को 

पी रहा है । 

अपने अंदर की मदिरा से

किसी को खुश करो 

और किसी को मदहोश 

बस जब तक मय बाकी है

तब तक आप बाकी हो ।। 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational