सत्ता से सीमा तक
सत्ता से सीमा तक
सत्ता की रोटी सेंक रहे, ये राजनेता फेंक रहे,
कुर्सी की बस चिंता है, देश बिके तो बिकता है !
सीमा पर सैनिक लड़ता है, लेकर इंकलाब का जज़्बा,
सत्ता के गलियारों में छाया है देखो, शुद्ध लाभ का कब्ज़ा !
बयानों से झोली भरते नेता, सीमा पर गोली सहता बेटा !
बाहर सीमा पर शत्रु चोट करे, तो ये नेता अंदर से खोट भरें !
है देश को खतरा जितना, पड़ोसी छलचंदो से,
कम नहीं कुछ दंत विषैले, इन राजलोभी जयचंदों के!
पक्ष विपक्ष की बयानबाज़ी,आज फिर बाँकुरे ने जान गँवा दी,
नेता जी संसद आये हैं, श्रद्धा के फूल भिजायें हैं,
कल जवान की शहादत तौलेंगे, नेता जी वोट बटोरेंगे !