राजनीति के चक्कर मा
राजनीति के चक्कर मा


एक दिन बइठे सोच लिये हम, राजनीति में बड़ा है दमखम
मंत्री हम बन जायेंगे फिर दूध मलाई खायेंगे
चारा मिल जाये मुफ्त गाय को,पुलिस से भैंस बंधायेंगे
आगे अनुचर पीछे गाड़ी, जेड सुरक्षा चलै बिचाड़ी
दिवास्वप्न से चौंक पड़े हम, पड़ी जोर से मां की छड़ी
बोलीं पागल होइ गईं तुम का?लागा चस्का राजनीति का?
लालू बूढ़े जेल गये हैं, पप्पू भी तो फेल भये हैं
;">बेटो दगा दओ बापू को, हाल मुलायम को तुम पूछो
मायावती जी चक्कर खावैं,ममता आंय—बांय बतियावैं
तुम गिर जइहो इक लप्पड़ मां,राजनीति न तुमरे बस मां
सब मोदी,योगी गाय रहे हैं,खौफ अमित का खाय रहे हैं
बी जे पी मा दाल न गलिहै,आ़प बुलाय झाड़ू से मरिहै
फिरि काहे तुम करौ ढिठाई,राजनीति खातिर पगलाई?
बेटा दुनिया मे काम बहुत न करौ मुफ्तखोरी मन मा
यह राजनीति सबसे टेढ़ी न पड़ो इसके घनचक्कर मा।