STORYMIRROR

Sarita Maurya

Comedy

4  

Sarita Maurya

Comedy

प्राइवेट नौकरी

प्राइवेट नौकरी

1 min
196

कल नौकरी मिली थी, दिल की कली खिली थी

सोचा था कुछ करेंगे, सपनों को जी ही लेंगे

कुछ फर्ज पूरे होंगे और कर्ज भी चुकेंगे

मुनिया की टूटी चप्पल फिर से नई मिलेगी


चश्मा मेरा बदल दे अम्मा ने भी कहा था

इक साल हो चला है साड़ी नई मिली थी। 

अब क्या तुम्हें बतायें अपनी व्यथा सुनायें

ऑफिस का हाल क्या है, हमको मलाल क्या है ?


इक बॉस है हमारी, वो रंजोगम की मारी

उन्हें चाहिये हमेशा बाबू से रेजगारी

बाबू हमारे ऐसे हमसे भी चाहें पैसे 

उनकी भतीजी को भी कुर्सी यही मिली थी


कुछ हो गया था पंगा, ऑफिस में बड़ा दंगा

सबकी जमीं हिली थी।

अब हमपे गाज भारी नाराज दुनिया सारी

कितने दिनों बचेगी, क्या नौकरी चलेगी

क्या फिर से होंगे फाके घर से मिलेगी गाली


मुद्दत के बाद हमको थोड़ी जिंदगी मिली थी।

मुझे नौकरी मिली थी दिल की कली खिली थी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Comedy