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Sarita Maurya

Children

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Sarita Maurya

Children

हमने स्कूल नहीं देखा

हमने स्कूल नहीं देखा

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हमने कहीं सुना ऐसा शायद अपने अरमानों में

मुस्कुराहटें मिलती हैं ज्यूं स्कूलों के बागानों में,

हमने सुना है कमरे भी होते हैं किन्हीं मकानों में

क्या रंग सुनहरे मिलते हैं स्कूलों की दीवारों में,

क्या किताब के पन्नों में बच्चों की दुनिया होती है

हमने सुना है बस्ते में सपनों के रंग सजाते हैं,

क्या यही वजह स्कूलों में बच्चों की दुनिया होती है?

कोई सजा नहीं मिलती बस प्रश्न हल किये जाते हैं,

कुछ तो अच्छा होता ही है क्यूं सब बच्चे मुस्काते हैं

हमने सुना है बस्ते भी कुछ रंगबिरंगे होते हैं,

पेंसिल होती नीली-पीली रबर बतख सी दिखती है।

हमने सुना है टीचर भी बन जाते दोस्त सभी के पल में,

प्रेम से सींच दिया करते ज्यों पौधे भीगें बारिश में

क्या ऐसा भी होता है? प्रश्न हमारे कोई सुने

जब बोलें हम टूटा-फूटा तब भी हमको सम्मान मिले,

हाथ बढ़ाये कौन भला हम भी देखें सुंदर सपने

कोई मुस्काता सा आये और कहे कि तुम हो मेरे अपने।


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