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सोनी गुप्ता

Abstract Comedy

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सोनी गुप्ता

Abstract Comedy

ट्रेन का सफर

ट्रेन का सफर

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आज सुबह जल्दी उठ गए ,

ट्रेन जो पकड़नी थी, 

नहा धोकर तैयार हो गए, 

नीचे खड़ी गाड़ी से ड्राइवर ने आवाज लगाई, 

हम अपना सामान उठाये चल पड़े, 

भगवान का लिया नाम और निकल गए, 

समय से पहले ही स्टेशन पहुँच गए, 

यात्रियों का जमघट लगा था, 

हर कोई ट्रेन की यात्रा में खड़ा था, 

करीब आधे घंटे बाद आखिर ट्रेन लग गई, 

हमने अपना डिब्बा ढूंढा और चढ़ गए, 

ट्रेन की हालत थी बहुत ही खस्ता, 

बैठने के अलावा नहीं था कोई रास्ता, 

सफर शुरू हुआ मजेदार, 

सफर में साथी मिले समझदार, 

दूसरे ही तरफ बच्चों की फौज दिखी, 

जिन्होंने चिल्ला चिल्लाकर कानों की बैंड बजाई, 

सोचा चलो देखें ये बच्चे इतना शोर क्यों मचा रहे हैं,

देखा तो हैरान पांच बच्चे सीट पर, 

और दो गोद में चिल्ला रहे हैं, 

हाय! इन्होंने परिवार नियोजन क्यों न अपनाया, 

इनके शोर से हम घबरा रहे हैं, 

रात हुई कुछ शोर कम हुआ, 

अब हम भी चैन की नींद सो रहे हैं!! 



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