डॉक्टर बेचारा
डॉक्टर बेचारा
एक बार गांव में कोई भी बीमार ना हुआ,
डॉक्टर बेचारा परेशान हुआ।
भागकर बाजार आया,
भगवान की फोटो, अगरबत्ती साथ लाया।
तस्वीर लगाई आले में,
अगरबत्ती को जलाया।
आंखें करके बंद,
गुप्त रूप से माला को फिराया आया।
हे भगवान यह कैसा चक्कर चलाया,
डॉक्टर भोलेपन से बड़बडाया।
गांव में हैजा डाल दे,
इस गरीब को भी कुछ माल दे।
भगवान ने देखा व मुस्कुराया,
सुख में ना सही, दुख में तो याद आया।
इतने में एक लड़का आया,
हाथ जोड़कर फरमाया।
मेरे बाप को बचा लो साहब,
मनचाहा रेट लगा लो साहब।
डॉक्टर की आंखें ललचाई,
होठों पर जीभ फिराई।
डॉक्टर मुस्काया,
और उस पर रौब जमाया।
बोला तू चल मैं आया,
साथ में बैग भी लाया।
फिर मूरत के सामने आया,
बोला," भगवान 1 घंटे मरने मत देना।
मैं थोड़ा परेशान कर लूं ,
किसी और को आने मत देना।"
फँस गया था डॉक्टर बेचारा ,
पूछा नहीं था घर, कहां है तुम्हारा।
इसी इंतजार में, बीत गया महीना सारा,
आखिर में झुझंलाकर बोला,
सत्यानाश हो भगवान तुम्हारा।
एक दिन वह लड़का नजर आया,
डॉक्टर भागकर पीछे आया।
बोला बैठा था यार तुम्हारी बाट में,
लड़का बोला," मेरा बाप पहुंच गया
श्मशान घाट में "
वापस आया दुकान में,
भगवान के लात जमाई।
कैसे आया दुकान में,
मर जाके कहीं कसाई।
टूट गया दिल सारा,
आखिर क्या करता डॉक्टर बेचारा ?
आखिर क्या करता, डॉक्टर बेचारा ?