लाइक तो कर दो यार
लाइक तो कर दो यार
डोल रहे राइटर,
रचनाओं को फेंकते।
पाठक हैं कि एक नजर,
उनको नहीं देखते।
कभी टिकटॉक, कभी इंस्टाग्राम,
कभी शेयरचैट, चिंगारी पर,
बार-बार मोबाइल पे फॉलोवर देखते,
बन गए मदारी भर।
जो कभी मोहल्ले की गलियों में,
गिल्ली डंडा खेला करते थे।
सुना है आज वही स्टार बन,
लाइव आया करते हैं।
क्या जमाना आया है,
जाने कैसा रंग छाया है।
कोई इज्जत नहीं रही,
राइटर, बैल, बारात की।
ना कोई लाइक, ना कोई शेयर,
और बात करे औकात की।
खैर पाठकों को क्या कहें हम,
ये तो हमारे मेहमान हैं।
जिसे चाहे बना दे, जिसे चाहे मिटा दे,
यही उनकी पहचान है।
ना चाहूं मैं धन-दौलत, शौहरत,
ना मांंगू मैं प्यार।
बस इतनी विनती है कोई
लाइक तो कर दो यार
लाइक तो कर दो यार।
