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Ajeet dalal

Comedy

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Ajeet dalal

Comedy

बीबी की अरदास

बीबी की अरदास

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कल मेरी घर वाली, थी बड़ी उदास,

उसका चेहरा बता रहा, बात है कोई खास।

बोली-" पिया जी, अपने आप में,

बहुत बड़े कवि बनते हो।

फिर भी मेरे ऊपर कोई,

कविता नहीं लिखते हो।

मैंने कहा-" डार्लिंग, बस इतनी सी बात,

तेरी बात टाल दूं, मेरी क्या औकात।

पिछले जन्म के बुरे कर्म से,

ब्याहा गया मैं झाड़का।

इसलिए घरवालों ने मेरे,

लाके बांधी ताड़का।

इतना सुनकर, गुस्से में भरकर,

मुँँह गया मोटा सा,

मेरी सांसे अटक गई,

कि फूटेगा कोई पटाखा सा।

मैंने कहा-" प्रिय, क्यों हो गई,

मुझसे तू, इतनी रे नाराज।

अरे, तू मेरी झांसी की रानी,

मैं तेरा महाराज।

लेकिन नहीं मानी,

मायके जाने को हुई तैयार,

बोरी बिस्तर बांध के।

खुश रहना तू सदा,

मरा मुझको जान के।

बीवी की अरदास का,

ऐसा हुआ कमाल।

खाम खाँँ के पचड़े में,

फंस गया अजीत दलाल - 2


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