"हास्य"
"हास्य"
बाप बेटा मिलकर,
मजा उड़ा रहे हैं।
दारु पी रहे हैं,
नमकीन खा रहे हैं।
बातों में कट रही है,
उनकी ये जिंदगानी।
काम नहीं करेंगे,
हम हैं मूल खानदानी।
खेत बेच देंगे,
बाखर भी बेच देंगे।
मौज हम करेंगे,
पर काम नहीं करेंगे।
गांव के मुकद्दम,
दबदबा है अपना।
जमीन बिक रही है,
भरते दम वे अपना।
दिखावटी है जीवन,
कोरी है सारी बातें।
दारू के नशा में,
कटती है सारी रातें।
सद्बुद्धि देना भगवन,
ये रास्ता बुरा है।
उनके आतंक से,
दुखी सब पूरा है।।