एक दिन
एक दिन
एक दिना जब भोर भयो
अपनी निजी भार्या नूँ
मैंनू दै झकझोर जगायो
बोली-बिस्तर पर लेटे लेटे
तैने तोंद लियो है फुलायो
मैं बोल्यो- बता तू जानेमन
कुछ काम पड़ा जो जगायो ?
"अच्छा तू एक काम करो
यह लो गगरी अरु जायो
पानी पनघट से भरी लायो"
पहिले तो हम सोचने लागे
यो कौन मुसीबत आयो?
फिर कुछ ख्वाब सोच कर
मैं मन ही मन मुस्कायो
जब पहुंचो पनघट पर
यो काम दुरूह बुझायो
पानी लेता देख के हमको
एक सुंदरी धीरे से मुस्कायो
मेरो दिल धड़कन को लागे
मन मा आनंद भरि आयो
तभी एक सहेली अपुन पर
एक तगड़ो बान चलायो
"पानी भरन चले है यो तो
पर कमर है मोटों पायो
पानी तो यो भर लियो है
पर गगरी कहां चिपकायो?"
मैं पहले झेप्यो, फिर मुस्कायो
"देवी जी, तैनू अच्छो प्रश्न उठायो
पर मैंनू तो मोटी कमरिया
अपनी पतली करन ही आयो। "
