STORYMIRROR

सूर्येन्दु मिश्र

Romance

4  

सूर्येन्दु मिश्र

Romance

मेरे हमसफर

मेरे हमसफर

1 min
247

देखता हूँ अक्सर मैं 

उगते सूरज की लालिमा

हर लेता जग की कालिमा

उसके अप्रतिम ओज से 

जीवन-बगिया खिल जाती है

हमसफर याद तेरी तो आती है....


बहती प्रातः जो शीतल पवन

तरो-ताजा हो उठता है तन-मन

सुन पंक्षीगण का मधुरिम गुंजन

झूम उठता है तरुवर ये सघन

कोयलिया शाखों पे जब गाती है

हमसफर याद तेरी तो आती है....


देखता सरोवर की जब हलचल

तैरती हैं रंग-बिरंगी मीनें चंचल

फिर शैवालों का वो रंगीन महल

उनकी उस अद्भुत लीला को देख

तमन्ना जीने की जग जाती है

हमसफर याद तेरी तो आती है....


कभी कभी शाम यूँ ढलती है

जैसे नवयौवना घूँघट उतारती है

घर लौटने को पशु-श्रेणी चलती है

उनकी पग-धूलि से क्षितिज पर

सुनहरी चादर एक बिछ जाती है

हमसफर याद तेरी तो आती है....


जब चांद गगन पे आता है

तारो संग रास रचाता है

शमा सा एक बंध जाता है

मेरे अंधियारे मन के आंगन में

बुझती एक ज्योति जल जाती है

हमसफर याद तेरी तो आती है....


ठंडी रातों को नर्म बिछौने में

खिलते हैं ख्वाब कुछ बौने से

कुछ चांदी और कुछ सोने से

ख्वाबों की झिलमिल दुनिया 

कुछ सोए अरमान जगाती है

जिंदगी एक बार मुस्कराती है....


हमसफर याद तेरी तो आती है।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance