मुझे भी कोई पढ़ता
मुझे भी कोई पढ़ता
काश! मुझे भी कोई पढ़ता
जीवन के इसी झमेले में
मिल गया था कोई मेले में
कुछ बातें हुईं थी अकेले में
कुछ बोझ मन का उतरता।
काश! मुझे भी.....…......
जीवन की राहें गहरी हैं
कहीं छांव कहीं दुपहरी है
कोई न समझता बातें मेरी
रुकता कोई न कुछ कहता।
काश! मुझे भी.....…......
कुछ लोगों ने तड़पाया मुझको
कुछ लोगों ने बहकाया मुझको
बाकी ने भी बहलाया मुझको
पूछा भी नही कि कुछ करता।
काश! मुझे भी.....…......
ये दुनिया तो आनी जानी है
सबकी अपनी तो कहानी है
अपना तो दुख रोया सबने
मैं किस किस पे आहें भरता।
काश! मुझे भी.....…......
