जीवन के इसी झमेले में मिल गया था कोई मेले में कुछ बातें हुईं थी अकेले में। जीवन के इसी झमेले में मिल गया था कोई मेले में कुछ बातें हुईं थी अकेले में।
अब सहारा ढूँढती हूँ सच्चे परिवारों में अब सहारा ढूँढती हूँ सच्चे परिवारों में
कागज़ की किश्ती से पूछती हूं, क्या अब भी आयेंगे बादल घनेरे, कागज़ की किश्ती से पूछती हूं, क्या अब भी आयेंगे बादल घनेरे,
कभी तेल में भूनकर खिलाओ तो कभी हल्दी नमक में भिगाओ कभी तेल में भूनकर खिलाओ तो कभी हल्दी नमक में भिगाओ
व्यवहार मृदु रख सबको ही,हम निज परिजन बनाएं, रहें सब ही मिल -जुल के, हंसें और हंसाएं। व्यवहार मृदु रख सबको ही,हम निज परिजन बनाएं, रहें सब ही मिल -जुल के, हंसें और ...