रहें सब ही मिल-जुल के
रहें सब ही मिल-जुल के
जीवन में आएं सुख-दुख, लाखों समस्याएं,
रहें सब ही मिल -जुल के, हंसें और हंसाएं।
रहता न एक सा है, जग में जीवन किसी का,
खुश रहे बांट खुशियां,सफल है जीना उसी का।
ग़म हो या होवे खुशियां,ये सदा टिकने न पाएं,
रहें सब ही मिल -जुल के, हंसें और हंसाएं।
सब आते हैं अकेले जग में, और जाते हैं अकेले,
सहयोग दे-ले सुलझाएं हम,इस जगत के झमेले।
खुशियों को बांटें सबमें, और सबके ग़म बंटाएं,
रहें सब ही मिल -जुल के, हंसें और हंसाएं।
बांटने से बढ़ती खुशियां, और बंटाने से घटें ग़म,
पर्वत से हैं दुख हो ही जाते, अगर हैं अकेले हम।
अकेलेपन में खुशियां लाख, हमें सुख दे न पाएं।
रहें सब ही मिल -जुल के, हंसें और हंसाएं।
सारा जग है कुटुम्ब अपना, मन में रखें पावन भाव,
दुःख नहीं कोई पास फटके,न ही हो सुख का अभाव।
व्यवहार मृदु रख सबको ही,हम निज परिजन बनाएं,
रहें सब ही मिल -जुल के, हंसें और हंसाएं।
