भोर पहर जब जागोगे मिलेगा ओस-पानी। भोर पहर जब जागोगे मिलेगा ओस-पानी।
कभी धूप खिले, कभी छाँव मिले कभी धूप खिले, कभी छाँव मिले
याद से खो गई अपने आप को छू लिया तो क्या करेली पगले को। याद से खो गई अपने आप को छू लिया तो क्या करेली पगले को।
I am deleting my poems. I am deleting my poems.
मैं बन जाऊं यशोदा मैया आँगन खेलो, झूला झूलो मैं बन जाऊं यशोदा मैया आँगन खेलो, झूला झूलो
मां जिसकी यशोदा मैया ग्वाल बाल संग मिलकर नित नये खेल करे मां जिसकी यशोदा मैया ग्वाल बाल संग मिलकर नित नये खेल करे