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Surjeet Kumar

Abstract Tragedy Thriller

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Surjeet Kumar

Abstract Tragedy Thriller

ओछे लांछन उम्दा जवाब

ओछे लांछन उम्दा जवाब

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जब किसी ने कहा हम से

काणे राजा हो तुम अंधो के

आधी जल भारी गगरी तुम

मेंढ़क हो गोल दीवारों के


तब उन्हे बताया हमने

अंधों को ज़रुरत काणौं की

रहती है राह बताने को

सुना ठीक ही है हमने

तुम लगाते हो चश्मा कदम बढ़ाने को


आधी जल भारी गगरी से

प्यास बुझाते हम औरों की भी

खाली गगरी भी काम मे आती है

मंदिर में जल चढ़ाने को


मेंढ़क तो जहान मे हर कोई है

खुद धरती ठहरी गोल यहाँ

चार दीवारी में रहने वालो

तुम्हें क्या पता आसमान कहाँ


अब किसी को ना कहना कभी

काणे राजा हो तुम अंधो के

आधी जल भारी गगरी तुम 

मेंढक हो गोल दीवारों के।


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