लाख बनाम दो
लाख बनाम दो
हो लाख बुराईयाँ मुझमें भले
पर ये दो अच्छाई है
ना दिल किसी का तोड़ा कभी
ना आग कहीं लगाई है
लगाए लाख रंग हो मैंने भले
पर दो रंगो से छाप बनाई है
ना रंगहीन किसी को किया कभी
ना बे - रंग सी ज़िन्दगी बिताई है
सुनी लाख बातें हो मैंने भले
पर दो बातें सुनाई है
ना गलत किसी को कहा कभी
ना गलत बात पर हामी भरवाई है
बोले लाख झूठ हो मैंने भले
पर ये दो सच्चाई है
ना नुकसान किसी का किया कभी
ना पाप की मेरी कमाई है
अपनाए लाख सिद्धांत हो मैंने भले
पर दो सिद्धांतो की लड़ाई है
ना अपनी बातों से मुकरना कभी
ना मुकरी बातों पर बहस करवाई है
पढ़ी लाख कहावतें हो मैंने भले
पर दो कहावतें अपनाई है
ना झूठ के पांव थे कभी
ना सच ने नज़रे झुकाई है
देखे लाख नज़ारे हो मैंने भले
पर दो नज़ारों से आँखें भर आई है
ना मालिक के दर से प्यारी जगह कोई
ना रहम बिना उसकी सांसे चल पाई है।
