STORYMIRROR

Surjeet Kumar

Action Inspirational Thriller

4  

Surjeet Kumar

Action Inspirational Thriller

लाख बनाम दो

लाख बनाम दो

1 min
233

हो लाख बुराईयाँ मुझमें भले

पर ये दो अच्छाई है

ना दिल किसी का तोड़ा कभी

ना आग कहीं लगाई है


लगाए लाख रंग हो मैंने भले

पर दो रंगो से छाप बनाई है

ना रंगहीन किसी को किया कभी

ना बे - रंग सी ज़िन्दगी बिताई है


सुनी लाख बातें हो मैंने भले

पर दो बातें सुनाई है

ना गलत किसी को कहा कभी

ना गलत बात पर हामी भरवाई है


बोले लाख झूठ हो मैंने भले

पर ये दो सच्चाई है

ना नुकसान किसी का किया कभी

ना पाप की मेरी कमाई है


अपनाए लाख सिद्धांत हो मैंने भले

पर दो सिद्धांतो की लड़ाई है

ना अपनी बातों से मुकरना कभी

ना मुकरी बातों पर बहस करवाई है


पढ़ी लाख कहावतें हो मैंने भले

पर दो कहावतें अपनाई है

ना झूठ के पांव थे कभी

ना सच ने नज़रे झुकाई है


देखे लाख नज़ारे हो मैंने भले

पर दो नज़ारों से आँखें भर आई है

ना मालिक के दर से प्यारी जगह कोई

ना रहम बिना उसकी सांसे चल पाई है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Action