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Surjeet Kumar

Tragedy Inspirational Thriller

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Surjeet Kumar

Tragedy Inspirational Thriller

आओ मनाये जश्न -ऐ-आज़ादी

आओ मनाये जश्न -ऐ-आज़ादी

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आओ मनाये जश्न -ऐ-आज़ादी

मूॅंह से कुछ न बोल कर

अपनी आँखें मूँद कर

बहुत कुछ गलत होते देख कर


नशा चढ़ा है ताक़त का इनको

सत्ता की गद्दी पर बैठ कर

उसूलों की कमर तोड़ कर

वादे अपने भूल कर


आओ मनाये जश्न -ऐ-आज़ादी

मूॅंह से कुछ न बोल कर


बाँध दिए है हाथ कानून के

संसद का दरवाज़ा खोल कर

न्याय पर कुंडली मार कर

अन्याय के घोड़े हाँक कर


आओ मनाये जश्न -ऐ-आज़ादी

मूॅंह से कुछ न बोल कर


खींच रहे है वो लकीरें

धर्म की चादर ओढ़ कर

मंदिर मस्जिद तोड़ कर

अल्लाह राम बोल कर


आओ मनाये जश्न -ऐ-आज़ादी

मूॅंह से कुछ न बोल कर


लूट मची है बाजारों मे

सरकारी मंडियाँ खोल कर

जेबों मे डाका डाल कर

खून पसीना चूस कर


आओ मनाये जश्न -ऐ-आज़ादी

मूॅंह से कुछ न बोल कर


बाँट रहे है ज्ञान कुछ बड़ ज्ञानी

भ्रम की पोटली खोल कर

समाचार सब गोल कर

प्रचार का व्यापार कर कर


आओ मनाये जश्न -ऐ-आज़ादी

मूॅंह से कुछ न बोल कर


अनदेखा सा डर है सबको

ज़ालिम का इतिहास पढ़ कर

कहानियाँ ज़ुल्म की सुन कर

जलती लाशे देख कर


आओ मनाये जश्न -ऐ-आज़ादी

मूॅंह से कुछ न बोल कर


हमने ही तो दी थी ताकत इनको

अपना इनको मान कर

झांसों मे इनकी फस कर

बगुलों को हंस समझ कर


आओ मनाये जश्न -ऐ-आज़ादी

मूॅंह से कुछ न बोल कर


अब देंगे जवाब इन सब को

तख्ता सत्ताधीश का पलट कर

सच का दामन पकड़ कर

इतिहास नया लिख कर


आओ मनाये जश्न -ऐ-आज़ादी

मूॅंह से कुछ न बोल कर।


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