"हास्य"
"हास्य"
कंचन जैसी काया तेरी,
कटे है तेरे बाल।
छोटे-छोटे कपड़े तेरे,
देखो भाई कमाल।
चाल तेरी है मतवाली,
जैसे करे धमाल।
बाल चमक रहे चांदी जैसे,
देखो भाई कमाल।
माया नगरी में अब देखों,
फैला मायाजाल।
जिन्हें आ जावें कूदाफांदी,
हो जायें मालामाल।।