मिलन और बिछड़न
मिलन और बिछड़न
बड़ी बेचैन करती है उनकी याद
चलो अब तुम भी सुन लो ये राज की बात,
एक रोज दो जोड़ा गए मंदिर के द्वार
मुँह पर था हरे राम,
मन में था बेचैनी का नाम
कही बिछड़ ना जाए एक दूजे से आज,
हाय... अब जरा गौर से सुनिए आगे का कांड
"ओह मेरी प्यारी चप्पल
हाय मेरी न्यारी चप्पल
तुझे मैं ढूंढू इधर-उधर
तू मिले ना मुझे कोई तरफ़
हाय -हाय कोई तेरा पता बता दे
तुझसे एक बार मिलवा दे!!! "